ले चलो मुझे जहाँ मिट्टी के टीले हो
थक गये इस अमीरी से एसी कार नहीं चाहिए
ना मोबाइल, जाना है जहाँ तालाबों के
पानी में नहाकर कपड़े मेले कुचेले हो,
ले चलों मुझे गांवों के मेलों में
थक गए हैं इन ढकोसलो से
मुझे वहाँ गुड़िया खरीदनी है झूलों में झूलना है
खाना है कच्चा अमरूद ठेलो से।
©Jyoti Kumari
#hunarbaaz