झुका हूँ, मिटा नहीं हूँ, रुका हूँ, थमा नहीं हूँ।। | हिंदी कविता

"झुका हूँ, मिटा नहीं हूँ, रुका हूँ, थमा नहीं हूँ।। वक़्त की सीढ़ियों पर रेंगता ही सही, मैं चढ़ा हूँ, मगर गिड़ा नहीं हूँ।। मुझे उंगलियों से नाप लो, आज तारीख देख कर, फिर नापने का हौसला ना ला पाओगे।। कद मेरा भी तुमसे कुछ कम न होगा, वो वक़्त भी जल्द ही देख पाओगे।। मेरे बारे में बातें तुम करते ही हो, मुझे सुर्खियों में भी कल देखोगे तुम।। मेरी हस्ती के चर्चे भी होंगे मगर, फिर अपने ही कानों को सेंकोगे तुम।। बटा हूँ, घटा नहीं हूँ, हटा हूँ, कटा नहीं हूँ।। फ़र्ज़ के रास्तों पर रेंगता ही सही, मैं बढ़ा हूँ, मगर मरा नहीं हूँ।। ©Abhijeet Dey"

 झुका हूँ, मिटा नहीं हूँ,

रुका हूँ, थमा नहीं हूँ।।

वक़्त की सीढ़ियों पर रेंगता ही सही,

मैं चढ़ा हूँ, मगर गिड़ा नहीं हूँ।।


मुझे उंगलियों से नाप लो, आज तारीख देख कर,

फिर नापने का हौसला ना ला पाओगे।।

कद मेरा भी तुमसे कुछ कम न होगा,

वो वक़्त भी जल्द ही देख पाओगे।।


मेरे बारे में बातें तुम करते ही हो,

मुझे सुर्खियों में भी कल देखोगे तुम।।

मेरी हस्ती के चर्चे भी होंगे मगर,

फिर अपने ही कानों को सेंकोगे तुम।।


बटा हूँ, घटा नहीं हूँ,

हटा हूँ, कटा नहीं हूँ।।

फ़र्ज़ के रास्तों पर रेंगता ही सही,

मैं बढ़ा हूँ, मगर मरा नहीं हूँ।।

©Abhijeet Dey

झुका हूँ, मिटा नहीं हूँ, रुका हूँ, थमा नहीं हूँ।। वक़्त की सीढ़ियों पर रेंगता ही सही, मैं चढ़ा हूँ, मगर गिड़ा नहीं हूँ।। मुझे उंगलियों से नाप लो, आज तारीख देख कर, फिर नापने का हौसला ना ला पाओगे।। कद मेरा भी तुमसे कुछ कम न होगा, वो वक़्त भी जल्द ही देख पाओगे।। मेरे बारे में बातें तुम करते ही हो, मुझे सुर्खियों में भी कल देखोगे तुम।। मेरी हस्ती के चर्चे भी होंगे मगर, फिर अपने ही कानों को सेंकोगे तुम।। बटा हूँ, घटा नहीं हूँ, हटा हूँ, कटा नहीं हूँ।। फ़र्ज़ के रास्तों पर रेंगता ही सही, मैं बढ़ा हूँ, मगर मरा नहीं हूँ।। ©Abhijeet Dey

मिटा नहीं हूँ

#MereKhayaal Shristi Yadav Zakir Ul Hussain Raman Yadav Nehal khan fromGhazipure Nipendar dhiman

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