कही बार इंसान रिश्ते संभालते संभालते थक जाता है, य

"कही बार इंसान रिश्ते संभालते संभालते थक जाता है, या तो कही बार उन रिश्तों में खुद को। कोई फर्क नही पड़ता किसी को जनाब, की क्या हालचाल आपका है, लोग बस अपने काम से काम रखते हैं। क्युकी आखिर में तो दुनिया ही मतलबी है ना अब हम इसमें किसी से बिना मतलब की उम्मीद रखे ये भला हो सकता है क्या? याद तब तक ही रहोगे जब तक काम आओगे। क्युकी यह लोग दिया जलाने के बाद माचिस की तीली भी फेक देते है। Darshita... ©Darshita"

 कही बार इंसान रिश्ते संभालते संभालते थक जाता है,
या तो कही बार उन रिश्तों में खुद को।
कोई फर्क नही पड़ता किसी को जनाब,
की क्या हालचाल आपका है, लोग बस अपने काम से काम रखते हैं। क्युकी आखिर में तो दुनिया ही मतलबी है ना 
अब हम इसमें किसी से बिना मतलब की उम्मीद रखे 
ये भला हो सकता है क्या? 
याद तब तक ही रहोगे जब तक काम आओगे।
क्युकी यह लोग दिया जलाने के बाद माचिस की तीली भी फेक देते है।
Darshita...

©Darshita

कही बार इंसान रिश्ते संभालते संभालते थक जाता है, या तो कही बार उन रिश्तों में खुद को। कोई फर्क नही पड़ता किसी को जनाब, की क्या हालचाल आपका है, लोग बस अपने काम से काम रखते हैं। क्युकी आखिर में तो दुनिया ही मतलबी है ना अब हम इसमें किसी से बिना मतलब की उम्मीद रखे ये भला हो सकता है क्या? याद तब तक ही रहोगे जब तक काम आओगे। क्युकी यह लोग दिया जलाने के बाद माचिस की तीली भी फेक देते है। Darshita... ©Darshita

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