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प्रेम क्या है ?
प्रेम कोई भावना नहीं है, प्रेम तो आपका अस्तित्व है। हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते रहते हैं। हर व्यक्त्तित्व से परे अपरिवर्तनशील प्रेम है; वह प्रेम तुम हो। जब स्वयं को खो दोगे, तो स्वयं को पा लोगे। घटना के पीछे की घटना ज्ञान है। वस्तु के पीछे की वस्तु अनन्त है। व्यक्त्ति के परे व्यक्त्ति प्रेम है।वस्तु के परे अनन्त है। व्यक्त्ति के परे प्रेम है। घटना, व्यक्त्तित्व और वस्तु में फँस जाना माया है। घटना, व्यक्त्तित्व और वस्तु के परे देखना प्रेम है। देखने का जरा सा ही फेर है।
©Aarav
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