दर-बदर भटक रहे थे
इक नौकरी की तलाश में,
नौकरी तो मिल गई
बड़ी आन बान शान में,
फिर लूटा दिया मेरा आशियाना,
भेजकर शहर से कंही दूर,
पंजाब के एक छोटे से ग्राम में,
इतना भी काफी नहीं था मेरे लिए तो,
अब बुलाते हैं ड्यूटी पे मुझे,
कभी दिन तो कभी रात ,
और कभी सुबह तो कभी शाम में,
बिखर गया आशियाना अब इस ग्राम में।।
©R Chaudhary
#ओरे जिंदगी क्या है तू