दुख से मत घबराना पंछी यह दुख जग का मेला है चाहे वीर बहुत अंबर पर उड़ना तुझे अकेला है नन्हे कोमल पंख है तेरी और गगन की दूरी बैठ गई तो कैसी होगी मां की अभिलाषा पूरी जिसका नाम अमर है जग में उसने संकट खेल है चाहे वीर बहुत अंबर पर उड़ना तुझे
Thursday, 14 March | 11:43 am
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दुख से मत घबराना पंछी यह दुख जग का मेला है चाहे वीर बहुत अंबर पर उड़ना तुझे अकेला है नन्हे कोमल पंख है तेरी और गगन की दूरी बैठ गई तो कैसी होगी मां की अभिलाषा पूरी जिसका नाम अमर है जग में उसने संकट खेल है चाहे वीर बहुत अंबर पर उड़ना तुझे