काँटों से वास्ता न रखो, खुद को गुलाब रहने दो ! दि | हिंदी शायरी

"काँटों से वास्ता न रखो, खुद को गुलाब रहने दो ! दिलों को बेताब रहने दो, इश्क़ के किताबों में गुलाब रहने दो !! थोड़ी नाराजगी तो ठीक, पर दिल में ज्यादा प्यार रहने दो ! खुद को गुलाब रहने दो !!"

 काँटों से वास्ता न रखो, 
खुद को गुलाब रहने दो !
दिलों को बेताब रहने दो, 
इश्क़ के किताबों में गुलाब रहने दो !!
थोड़ी नाराजगी तो ठीक, 
पर दिल में ज्यादा प्यार रहने दो !
खुद को गुलाब रहने दो !!

काँटों से वास्ता न रखो, खुद को गुलाब रहने दो ! दिलों को बेताब रहने दो, इश्क़ के किताबों में गुलाब रहने दो !! थोड़ी नाराजगी तो ठीक, पर दिल में ज्यादा प्यार रहने दो ! खुद को गुलाब रहने दो !!

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