चाह नहीं मैं, सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं चाह | हिंदी Poetry

"चाह नहीं मैं, सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं चाह नहीं देवो के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं मुझे तोड़ देना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएं वीर अनेक ।। ©Prem Motwani"

 चाह नहीं मैं, सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं
चाह नहीं देवो के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं
मुझे तोड़ देना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएं वीर अनेक ।।

©Prem Motwani

चाह नहीं मैं, सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं चाह नहीं देवो के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं मुझे तोड़ देना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएं वीर अनेक ।। ©Prem Motwani

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