वक्त के साथ, इंसान की सोंच बदल जाती है, इंसान नहीं

"वक्त के साथ, इंसान की सोंच बदल जाती है, इंसान नहीं। और गहरी चोट का दर्द खत्म हो जाता है, मगर निशान नहीं। ©Anamika verma"

 वक्त के साथ,
इंसान की सोंच बदल जाती है,
इंसान नहीं।
और गहरी चोट का दर्द खत्म हो जाता है,
 मगर निशान नहीं।

©Anamika verma

वक्त के साथ, इंसान की सोंच बदल जाती है, इंसान नहीं। और गहरी चोट का दर्द खत्म हो जाता है, मगर निशान नहीं। ©Anamika verma

#True_line

#beinghuman

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