रस भाव शब्द के तुम बनने को गीत प्रीत के तुम बनने क

"रस भाव शब्द के तुम बनने को गीत प्रीत के तुम बनने को आ जाओ आँखे चार करें कि कविता मेरी बुला रही.... ---- गौरव"

 रस भाव शब्द के तुम बनने को
गीत प्रीत के तुम बनने को
आ जाओ आँखे चार करें
कि कविता मेरी बुला रही....

                             ---- गौरव

रस भाव शब्द के तुम बनने को गीत प्रीत के तुम बनने को आ जाओ आँखे चार करें कि कविता मेरी बुला रही.... ---- गौरव

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