जो तुमसे मिले थे, मेरे हमदम, कांटे भी मूझको फूल थे | हिंदी Shayari

"जो तुमसे मिले थे, मेरे हमदम, कांटे भी मूझको फूल थे गालियां तीसरा दे जाए, मोहब्बत में कब ऐसे उसूल थे!! ©Anjuu"

 जो तुमसे मिले थे, मेरे हमदम, कांटे भी मूझको फूल थे
गालियां तीसरा दे जाए, मोहब्बत में कब ऐसे उसूल थे!!

©Anjuu

जो तुमसे मिले थे, मेरे हमदम, कांटे भी मूझको फूल थे गालियां तीसरा दे जाए, मोहब्बत में कब ऐसे उसूल थे!! ©Anjuu

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