खण्डरों की खामोशियों में न जाने कितनी आवाज़े है गु | हिंदी Shayari

"खण्डरों की खामोशियों में न जाने कितनी आवाज़े है गुम जरा टकरा के तो देखो उन खामोशियों से..... तब सब कुछ समझ जाओगी तुम ©Rashi"

 खण्डरों की खामोशियों में 
न जाने कितनी आवाज़े है गुम 
जरा टकरा के तो देखो 
उन खामोशियों से..... 
तब सब कुछ समझ जाओगी तुम

©Rashi

खण्डरों की खामोशियों में न जाने कितनी आवाज़े है गुम जरा टकरा के तो देखो उन खामोशियों से..... तब सब कुछ समझ जाओगी तुम ©Rashi

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