है राहों में मिलना मुनासिब कहां अब, मुरझाए फूलों क | हिंदी विचार

"है राहों में मिलना मुनासिब कहां अब, मुरझाए फूलों का खिलना कहां अब, जो होना था हो गया है न जाना, फिर मुलाकातों में मिलना कहां अब।।"

 है राहों में मिलना मुनासिब कहां अब,
मुरझाए फूलों का खिलना कहां अब,
जो होना था हो गया है न जाना,
फिर मुलाकातों में मिलना कहां अब।।

है राहों में मिलना मुनासिब कहां अब, मुरझाए फूलों का खिलना कहां अब, जो होना था हो गया है न जाना, फिर मुलाकातों में मिलना कहां अब।।

मुलाकातों में मिलना कहां अब।।

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