Men walking on dark street अनभिज्ञ था शतरंज के बिसात से,
इसलिए मात खा गए,,
वो जाल बिछा रहे थे,
और हम रिश्ता निभा रहे थे। ।
शौक नहीं था मौत के खेल का,
इसलिए धोखा खा गए,,
वो मोहरे फेंक रहे थे,
और हम अपनत्व देख रहे थे। ।
माहिर न था तीर चलाने में,
इसलिए मौका चूक गए,,
वो खामियां बता रहे थे,
और हम शुक्रिया जता रहे थे। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले
खुद की जुबानी। ।
©Santosh Verma
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