न जाने क्यों एहसास होता है जैसे तुम धीरे धीरे मेरे

"न जाने क्यों एहसास होता है जैसे तुम धीरे धीरे मेरे अंदर समाते जा रहे हो मेरे अंदर का सूनापन तुम तोड़े जा रहे हो तुम बिखरे जा रहे हो मेरे अंदर किसी अजनबी खुशबू की तरह कहीं यह सब ख्वाब तो नहीं तुम कौन हो कहीं देखा ही नहीं मैंने तुमको मेरे हाथों की लकीरों में फिर कैसे आ गए तुम मेरी जिंदगी की दरो दीवारों में कोई अजनबी सी हलचल बनके ©Chintu Agrvansi"

 न जाने क्यों
एहसास होता है
जैसे तुम
धीरे धीरे मेरे अंदर
समाते जा रहे हो
मेरे अंदर का सूनापन
तुम तोड़े जा रहे हो
तुम बिखरे जा रहे हो
मेरे अंदर किसी अजनबी
खुशबू की तरह
कहीं यह सब ख्वाब तो नहीं
तुम कौन हो
कहीं देखा ही नहीं
मैंने तुमको
मेरे हाथों की लकीरों में
फिर कैसे आ गए तुम
 मेरी जिंदगी की दरो दीवारों में
कोई अजनबी सी हलचल बनके

©Chintu Agrvansi

न जाने क्यों एहसास होता है जैसे तुम धीरे धीरे मेरे अंदर समाते जा रहे हो मेरे अंदर का सूनापन तुम तोड़े जा रहे हो तुम बिखरे जा रहे हो मेरे अंदर किसी अजनबी खुशबू की तरह कहीं यह सब ख्वाब तो नहीं तुम कौन हो कहीं देखा ही नहीं मैंने तुमको मेरे हाथों की लकीरों में फिर कैसे आ गए तुम मेरी जिंदगी की दरो दीवारों में कोई अजनबी सी हलचल बनके ©Chintu Agrvansi

मेरी जिंदगी की दरों दीवारों में
एक अजनबी सी हलचल बनके

#Red

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