दरमियां पल रही खामोशी को ज़ुबां दो,
बुझ चुकी इस आग को थोड़ी तो हवा दो,
लफ़्ज़ों को छोड़ अब नज़रों को कहने दो,
इश्क़ का झरना यूँ ही खुलकर बहने दो..!
©Pradeep Kalra
दरमियां पल रही खामोशी को ज़ुबां दो,
बुझ चुकी इस आग को थोड़ी सी हवा दो,
लफ़्ज़ों को छोड़ अब नज़रों को कहने दो,
इश्क़ का झरना यूँ ही खुलकर बहने दो,
Pradeep Kalra - 22-02-21