गिर गिर कर उठने की कोशिश
ही जीत बनेगी ,गर यह कोशिश
बरकरार रहे!
हर कदम,हर तरफ,तमन्नाओं के लिए
कुछ कर जाने की ज़िद हो ऐसा
कारोबार रहे!
मुस्कुराहटें मिलती रहें होठों को
ज़िन्दगी भर ,कुछ अदाओं से, कि सबको
तुम्हारा इंतज़ार रहे।
नासमझ दिल के भरोसे क्यों बैठे रहें
क्यों ना गिर गिर कर उठने की कोशिश
बरकरार रहे?
©MANISH TIWARI