कि साहब बड़े-बड़े होटलों पर जाया करते हो अरे मां क | हिंदी Poetry

"कि साहब बड़े-बड़े होटलों पर जाया करते हो अरे मां के हाथ की दाल रोटी भी अच्छी हो सकती है और यहां मैं खड़ा हूं तो कुछ जरूर बड़ा होगा माना यह जगह छोटी हो सकती है ©prayag raj"

 कि साहब बड़े-बड़े होटलों पर जाया करते हो
अरे मां के हाथ की दाल रोटी भी अच्छी हो सकती है
और यहां मैं खड़ा हूं तो कुछ जरूर बड़ा होगा
माना यह जगह छोटी हो सकती है

©prayag raj

कि साहब बड़े-बड़े होटलों पर जाया करते हो अरे मां के हाथ की दाल रोटी भी अच्छी हो सकती है और यहां मैं खड़ा हूं तो कुछ जरूर बड़ा होगा माना यह जगह छोटी हो सकती है ©prayag raj

#Hope

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