हिज़्र में जो सुक़ून मिलता है, वस्ल में वो मज़ा नहीं

"हिज़्र में जो सुक़ून मिलता है, वस्ल में वो मज़ा नहीं आता। -अजय विश्वकर्मा"

 हिज़्र में जो सुक़ून मिलता है,
वस्ल में वो मज़ा नहीं आता।

-अजय विश्वकर्मा

हिज़्र में जो सुक़ून मिलता है, वस्ल में वो मज़ा नहीं आता। -अजय विश्वकर्मा

#उर्दू_अदब

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