मुझे आज की जीवन शैली बिल्कुल रास नही है आज के व्य

"मुझे आज की जीवन शैली बिल्कुल रास नही है आज के व्यक्ति जानवर है क्या महिला क्या पुरूष सबको प्रेम चाहिये अपनी जरूरत वश काम पुर्ति के लिये विवाह क्या है एक समझ का सम्बंध है ना की पशुओ की विश्राम शाला यहा अध्यात्म की बाते करी जाती है समझी एक नही जाती समाज किसने बनााया आप लोगो ने ग्रन्धो मे इसका उल्लेख है क्या भोग विलासता का साधन बना दिया है प्रेम को असलियत किसीको नही पता ओर जब मनमाानी नही होती तो ऐकान्त याद आता है कामुकता ही बच गई प्रेम नही कड़वा है परन्तु सत्य है यही है कनक तेलंग ©kt"

 मुझे आज की जीवन शैली बिल्कुल रास नही है 
आज के व्यक्ति जानवर है क्या महिला क्या पुरूष 
सबको प्रेम चाहिये अपनी जरूरत वश
काम पुर्ति के लिये 
विवाह क्या है एक समझ का सम्बंध है
ना की पशुओ की विश्राम शाला
यहा अध्यात्म की बाते करी जाती है 
समझी एक नही जाती 
समाज किसने बनााया 
आप लोगो ने ग्रन्धो मे इसका उल्लेख है क्या
भोग विलासता का साधन बना दिया है 
प्रेम को 
असलियत किसीको नही पता
ओर जब मनमाानी नही होती तो 
ऐकान्त याद आता है 
कामुकता ही बच गई प्रेम नही 
कड़वा है परन्तु सत्य है यही है




कनक तेलंग

©kt

मुझे आज की जीवन शैली बिल्कुल रास नही है आज के व्यक्ति जानवर है क्या महिला क्या पुरूष सबको प्रेम चाहिये अपनी जरूरत वश काम पुर्ति के लिये विवाह क्या है एक समझ का सम्बंध है ना की पशुओ की विश्राम शाला यहा अध्यात्म की बाते करी जाती है समझी एक नही जाती समाज किसने बनााया आप लोगो ने ग्रन्धो मे इसका उल्लेख है क्या भोग विलासता का साधन बना दिया है प्रेम को असलियत किसीको नही पता ओर जब मनमाानी नही होती तो ऐकान्त याद आता है कामुकता ही बच गई प्रेम नही कड़वा है परन्तु सत्य है यही है कनक तेलंग ©kt

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