ग़ज़ल
बह्र :- २१२२-२१२२-२१२२-२१२
हिज़्र ए गम और शिक़वा ख़ैर छोड़ो जाने दो
किस क़दर खुद में हूँ बिखरा ख़ैर छोड़ो जाने दो।।१
दिल भी तन्हा मैं भी तन्हा और तन्हा यादें हैं
क्या बताऊँ कितना टूटा ख़ैर छोड़ो जाने दो।।२
ख़ामुशी में चीख़ और अल्फाज ज़िंदा लाश उफ़्फ़!
पूछना फिर खैरियत का खैर छोड़ो जाने दो।।३
मुन्तज़िर था हर घड़ी बस इक झलक भर देख लूं
हाय! उन नज़रों का मिलना ख़ैर छोड़ो जाने दो।।४
बेबसी औ' बेख़ुदी में कट रही रातें सभी
बेबफा होना तुम्हारा ख़ैर छोड़ो जाने दो।।५
यूँ मयस्सर ज़ीस्त से हासिल हुआ #जय कुछ नहीं
औ' तुम्हारा रूठ जाना ख़ैर छोड़ो जाने दो।।६
©जय
#snowfall