वो मेरा पूरा का पूरा आसमाँ हो गया है!
कैसे कहूँ वो मुझसे किस कदर जुड़ गया है!
हूँ आज अपनों के ही बिच पराई जैसी मैं,
एक वो ही शख्स मेरा सहारा बन गया है!
रहकर मर्यादा में जिया है मैंने हरपल!
लोभ वासना से परे साँस ली हर क्षण!
रिश्तों की दहलीज के पार जाऊँ ऐसा मैंने सोचा नहीं!
इज्जत, प्यार ममता के मोह में ख़ुदको मैंने चुना नहीं!
प्रेम और विश्वास हर रिश्तों की होती निभ है!
प्रेम के नाम से झुकती नजरें,ये कैसी रीत है?
♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1089 #collabwithकोराकाग़ज़
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