नमोस्तु गुरुवे तस्मै, इष्टदेव स्वरूपिणे।
यस्य वाग्मृतम् हन्ति,विषं संसार संज्ञकम् ॥
भावार्थ: जिसकी अमृतमय वाणी अज्ञानता रूपी सांसारिक विष को नष्ट कर देती है, उस महान ईश्वर रूपी गुरुवर को मेरा सादर प्रणाम
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏❤️
Aaru 💕
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©Anjali yadav (Aaru)
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