मैं इस कदर तुझमे समाना चाहती हूँ
के तुझ संग ही जीना और मरना चाहती हूँ
सुना है आज जनम दिवस है तेरा
तो लाख बधाइयाँ तुझे
पर में मरते दम तक ही नहीं
मरने के बाद भी सिर्फ तेरी ही गोद में सोना चाहती हूँ
सुना है तू छलिया है
छल मेरे मन को
ओ मेरे छलिया कान्हा में भी तो बस यही चाहती हूँ
के तू बासुरी बजाये
और में उसकी धुन में मंत्रमुग्ध होना चाहती हूँ
के में इस कदर तेरा होना चाहती हूँ
के तुझ संग ही जीना और मरना चाहती हू.......✍️
©jyoti raj kashyap
मैं इस कदर तुझमे समाना चाहती हूँ
के तुझ संग ही जीना और मरना चाहती हूँ
सुना है आज जनम दिवस है तेरा
तो लाख बधाइयाँ तुझे
पर में मरते दम तक ही नहीं
मरने के बाद भी सिर्फ तेरी ही गोद में सोना चाहती हूँ
सुना है तू छलिया है