मांँ हो ना हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा जब ख | हिंदी कविता

"मांँ हो ना हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा जब ख़ुदा ने माँ का दिल बनाया होगा रचकर खुदाई की सबसे खूबसूरत काया वो मन ही मन खूब इतराया होगा समेट कर सारी कायनात "माँ" में हुनर पर अपने मंद मंद मुस्काया होगा भिंगोया होगा माँ की मिट्टी को गंगाजल से रोम रोम चंदन से सजाया होगा हो न हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा जब खुदा ने माँ का दिल बनाया होगा ©bimmi prasad"

 मांँ
हो ना हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा 
जब ख़ुदा ने माँ का दिल बनाया होगा

रचकर खुदाई की सबसे खूबसूरत काया
वो मन ही मन खूब इतराया होगा

समेट कर सारी कायनात "माँ" में
 हुनर पर अपने मंद मंद मुस्काया होगा

भिंगोया होगा माँ की मिट्टी को गंगाजल से
रोम रोम चंदन से सजाया होगा

हो न हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा
जब खुदा ने माँ का दिल बनाया होगा

©bimmi prasad

मांँ हो ना हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा जब ख़ुदा ने माँ का दिल बनाया होगा रचकर खुदाई की सबसे खूबसूरत काया वो मन ही मन खूब इतराया होगा समेट कर सारी कायनात "माँ" में हुनर पर अपने मंद मंद मुस्काया होगा भिंगोया होगा माँ की मिट्टी को गंगाजल से रोम रोम चंदन से सजाया होगा हो न हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा जब खुदा ने माँ का दिल बनाया होगा ©bimmi prasad

#maa

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