क्यों खुलकर नहीं जीते, यहां दुबारा थोड़ी ना आओगे,

"क्यों खुलकर नहीं जीते, यहां दुबारा थोड़ी ना आओगे, तुम इंसान हो यार पहाड़े नहीं, जो बार बार दोहराए जाओगे। — तुम्हारा तूफान ©Tofan Ojha"

 क्यों खुलकर नहीं जीते,
यहां दुबारा थोड़ी ना आओगे,
तुम इंसान हो यार पहाड़े नहीं,
 जो बार बार दोहराए जाओगे।

— तुम्हारा तूफान

©Tofan Ojha

क्यों खुलकर नहीं जीते, यहां दुबारा थोड़ी ना आओगे, तुम इंसान हो यार पहाड़े नहीं, जो बार बार दोहराए जाओगे। — तुम्हारा तूफान ©Tofan Ojha

#Sunhera #ओझा_सर_एक_शायर

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