विरह
जा रही हूंँ दूर,बहुत दूर तुमसे
संभव है फिर कभी,हमारा मिलना ना हो
अब बस यादों में,समाए रखना
ना मिल सकी,इस जन्म में तो
अगले जन्म का,इंतजार करना
वादा नहीं, शिकवा नहीं,
बस यहीं तक था, सफर हमारा
मनोरोगी,तो पहले से थे
अब कहीं, पागल मत बन जाना
©DR. LAVKESH GANDHI
#loversday