उसके कहने से मिलूं....उसके कहने से चलूँ, ऐसे थोड़ी

"उसके कहने से मिलूं....उसके कहने से चलूँ, ऐसे थोड़ी ना चलती प्यार की जोड़ी है, इतना सब सहकर भी उसे ही चाहूँ, ये वेद इतना पागल थोड़ी है, सब जरुरी उसके लिए मुझसे पहले, इश्क़ में ऐसे चलता थोड़ी है, एक उसका काम पहले एक उसका स्वार्थ पहले, ये मोहब्बत है साहब कोई खैरात थोड़ी है, मरता रहा मैं उसे मैं नहीं पहले अपना काम दिखा, उसने बताया पैसे से प्यार है वो मुझसे मिलने आये काम छोड़कर वो पागल थोड़ी है, उसने एक चीज सीखा दी कि सबसे पहले खुद का सोचो, उसने बताया मोहब्बत प्यार सब बेकार है भगवान थोड़ी है, जैसा उसने चाहा कीया और सहा है मैंने ज़बरदस्ती, पर मेरे लिए आज भी प्यार है सब कुछ तू कह दे जो मान लूँ तू इंसान है भगवान थोड़ी है, और रहेगी अब दूर तो इसमें ही भलाई है मेरी, पर तरसेगी मेरे प्यार को एक दिन मेरी तरह प्यार में कोई रह ले उसके साथ ऐसा उसके लिए कोई खुद्दार थोड़ी है, अब जीना सीखा है मैंने खुश रहकर कई बरसों बाद, वो मजे में रहे और मैं उसके लिए दुखी रहूँ अबे वो कोई सरकार थोड़ी है, तूने ना रखा दिल में ना सही, लोगों के दिलों में हूँ मैं हर कोई निकल देगा अबे वेद किरायेदार थोड़ी है, मुझे दुख देकर खुश है तो बेसक रहे, पर मुझे भी खुशियाँ दी हैँ अब उपरवाले ने वो जनता है कि तुमहरी तरह वेद मक्कार थोड़ी है, पैसा स्टैण्डर्ड ये सब तो मैं भी कमा लेता, पर इन सबके लिए छोड़ा तूने ये कोई संस्कार थोड़ी है, मुझे दुख देने के नये तरीके आजमा जितना चाहे हमेशा की तरह, पर अब फर्क नहीं पड़ता वेद अब तेरा तलबगार थोड़ी है, तुझे मान बैठा था मैं सब कुछ अपना, पर तूने ही बता दीया दुख दे देकर कि तेरा बिना रहा जा सकता है तू ही सारा का सारा संसार थोड़ी है, चल अब ढूंढ लेना मुझ जैसा इस सारे जहाँ में, प्यार आसानी से मिल जाये ये कोई कपड़ों का बाजार थोड़ी है।। ....वेद बैरागी~"

 उसके कहने से मिलूं....उसके कहने से चलूँ, 
ऐसे थोड़ी ना चलती प्यार की जोड़ी है, 
इतना सब सहकर भी उसे ही चाहूँ, 
ये वेद इतना पागल थोड़ी है, 
सब जरुरी उसके लिए मुझसे पहले, 
इश्क़ में ऐसे चलता थोड़ी है, 
एक उसका काम पहले एक उसका स्वार्थ पहले, 
ये मोहब्बत है साहब कोई खैरात थोड़ी है, 
मरता रहा मैं उसे मैं नहीं पहले अपना काम दिखा, 
उसने बताया पैसे से प्यार है वो मुझसे मिलने आये काम छोड़कर वो पागल थोड़ी है, 
उसने एक चीज सीखा दी कि सबसे पहले खुद का सोचो, 
उसने बताया मोहब्बत प्यार सब बेकार है भगवान थोड़ी है, 
जैसा उसने चाहा कीया और सहा है मैंने ज़बरदस्ती, 
पर मेरे लिए आज भी प्यार है सब कुछ तू कह दे जो मान लूँ तू इंसान है भगवान थोड़ी है,
और रहेगी अब दूर तो इसमें ही भलाई है मेरी, 
पर तरसेगी मेरे प्यार को एक दिन मेरी तरह प्यार में कोई रह ले उसके साथ ऐसा उसके लिए कोई खुद्दार थोड़ी है, 
अब जीना सीखा है मैंने खुश रहकर कई बरसों बाद, 
वो मजे में रहे और मैं उसके लिए दुखी रहूँ अबे वो कोई सरकार थोड़ी है,
तूने ना रखा दिल में ना सही, 
लोगों के दिलों में हूँ मैं हर कोई निकल देगा अबे वेद किरायेदार थोड़ी है, 
मुझे दुख देकर खुश है तो बेसक रहे, 
पर मुझे भी खुशियाँ दी हैँ अब उपरवाले ने वो जनता है कि तुमहरी तरह वेद मक्कार थोड़ी है, 
पैसा स्टैण्डर्ड ये सब तो मैं भी कमा लेता, 
पर इन सबके लिए छोड़ा तूने ये कोई संस्कार थोड़ी है, 
मुझे दुख देने के नये तरीके आजमा जितना चाहे हमेशा की तरह, 
पर अब फर्क नहीं पड़ता वेद अब तेरा तलबगार थोड़ी है, 
तुझे मान बैठा था मैं सब कुछ अपना, 
पर तूने ही बता दीया दुख दे देकर कि तेरा बिना रहा जा सकता है तू ही सारा का सारा संसार थोड़ी है, 
चल अब ढूंढ लेना मुझ जैसा इस सारे जहाँ में, 
प्यार आसानी से मिल जाये ये कोई कपड़ों का बाजार थोड़ी है।। 

....वेद बैरागी~

उसके कहने से मिलूं....उसके कहने से चलूँ, ऐसे थोड़ी ना चलती प्यार की जोड़ी है, इतना सब सहकर भी उसे ही चाहूँ, ये वेद इतना पागल थोड़ी है, सब जरुरी उसके लिए मुझसे पहले, इश्क़ में ऐसे चलता थोड़ी है, एक उसका काम पहले एक उसका स्वार्थ पहले, ये मोहब्बत है साहब कोई खैरात थोड़ी है, मरता रहा मैं उसे मैं नहीं पहले अपना काम दिखा, उसने बताया पैसे से प्यार है वो मुझसे मिलने आये काम छोड़कर वो पागल थोड़ी है, उसने एक चीज सीखा दी कि सबसे पहले खुद का सोचो, उसने बताया मोहब्बत प्यार सब बेकार है भगवान थोड़ी है, जैसा उसने चाहा कीया और सहा है मैंने ज़बरदस्ती, पर मेरे लिए आज भी प्यार है सब कुछ तू कह दे जो मान लूँ तू इंसान है भगवान थोड़ी है, और रहेगी अब दूर तो इसमें ही भलाई है मेरी, पर तरसेगी मेरे प्यार को एक दिन मेरी तरह प्यार में कोई रह ले उसके साथ ऐसा उसके लिए कोई खुद्दार थोड़ी है, अब जीना सीखा है मैंने खुश रहकर कई बरसों बाद, वो मजे में रहे और मैं उसके लिए दुखी रहूँ अबे वो कोई सरकार थोड़ी है, तूने ना रखा दिल में ना सही, लोगों के दिलों में हूँ मैं हर कोई निकल देगा अबे वेद किरायेदार थोड़ी है, मुझे दुख देकर खुश है तो बेसक रहे, पर मुझे भी खुशियाँ दी हैँ अब उपरवाले ने वो जनता है कि तुमहरी तरह वेद मक्कार थोड़ी है, पैसा स्टैण्डर्ड ये सब तो मैं भी कमा लेता, पर इन सबके लिए छोड़ा तूने ये कोई संस्कार थोड़ी है, मुझे दुख देने के नये तरीके आजमा जितना चाहे हमेशा की तरह, पर अब फर्क नहीं पड़ता वेद अब तेरा तलबगार थोड़ी है, तुझे मान बैठा था मैं सब कुछ अपना, पर तूने ही बता दीया दुख दे देकर कि तेरा बिना रहा जा सकता है तू ही सारा का सारा संसार थोड़ी है, चल अब ढूंढ लेना मुझ जैसा इस सारे जहाँ में, प्यार आसानी से मिल जाये ये कोई कपड़ों का बाजार थोड़ी है।। ....वेद बैरागी~

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