White स्वार्थ के हैं लाखों तराने,संतोष का बस एक अफशाना है
स्वार्थ कहे लूट लो दुनियां,संतोष कहे क्या ले जाना है।
स्वार्थ कहे मिट जाये ये सारे,बस हम आबाद होते रहें
संतोष सिखाये मर्यादित जीवन,सारे हैं अपने यहां कौन बेगाना है।।
©अमित कुमार
स्वार्थ और संतोष