मन की आखों से देखों क्योंकि उपर वाला निचे वाला जात | हिंदी कविता

"मन की आखों से देखों क्योंकि उपर वाला निचे वाला जाति घरम का बोल वाला काला धन और काला धन कैसा होता है ये उजला धन उपर निचे के बिच मे पिसता हर वक्त मध्यम वर्ग बड़े बड़े दिग्गज बैठे ऑखे बिन जग को देखे स्नेह लगाव सब मटिया मेल उलझे है अपने आप मे सब जन मन के ऑगन का दवार खोल दिखेंगे सब तोल मोल क्योकि मन मे ही है सारे झोल ©Jyoti Gupta"

 मन की आखों से देखों क्योंकि उपर वाला निचे वाला
जाति घरम का बोल वाला
काला धन और काला धन
कैसा होता है ये उजला धन
उपर निचे के बिच मे
पिसता हर वक्त मध्यम वर्ग
बड़े बड़े दिग्गज बैठे
ऑखे बिन जग को देखे
स्नेह लगाव सब मटिया मेल
उलझे है अपने आप मे सब जन
मन के ऑगन का दवार खोल
दिखेंगे सब तोल मोल
क्योकि मन मे ही है सारे झोल

©Jyoti Gupta

मन की आखों से देखों क्योंकि उपर वाला निचे वाला जाति घरम का बोल वाला काला धन और काला धन कैसा होता है ये उजला धन उपर निचे के बिच मे पिसता हर वक्त मध्यम वर्ग बड़े बड़े दिग्गज बैठे ऑखे बिन जग को देखे स्नेह लगाव सब मटिया मेल उलझे है अपने आप मे सब जन मन के ऑगन का दवार खोल दिखेंगे सब तोल मोल क्योकि मन मे ही है सारे झोल ©Jyoti Gupta

#AdhureVakya

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