White साहिल
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एक छोर पर तू है एक छोर पर मैं हूंँ ,
हम तुम बिछड़े नदी के साहिल जैसे हैं ।
मगर, इस जनम में हमारा मिलना नहींं है ,
पर, तुम मायूस मत हो परीक्षा की घड़ी यही है।
(मौलिक रचना)
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
दिनांक - १७/५/२०२४ , ५:३३ अपराह्न
दिन - शुक्रवार
©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
#sad_shayari