White अत्याचार किसी पर भी करो
स्वयं पर, स्वयं के तन पर,मन पर,पेट पर,
चाहे अपनों पर,चाहे परायों पर
चाहे प्रकृति पर,धरती पर, आकाश पर
जल पर, वायु पर
वे कब तक सहन करेंगे?
एक सीमा के बाद सहन करना तो छोड़ेंगे ही
पलटकर वे भी अत्याचार करेंगे!
आपका अपना तन भी
आपको आराम से, स्वस्थ रहकर जीने नहीं देगा!
कभी कहाँ, कभी क्या, पीड़ाएं उभरकर
आपको अपने अत्याचार का एहसास कराएंगी,
लेकिन जब तक हम जागेंगे
तब तक उनके कान बंद हो चुके होंगे!
इसलिए समय रहते चेत जाएं और
सबका जीवन आसान बनाएं!!
©Anjali Jain
#Animals 27
05.24