Life Like हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का | हिंदी Life Video

"Life Like हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का निहायत ग़म है इस क़तरे को दरिया की जुदाई का असीर ऐ दोस्त तेरे आशिक़ ओ माशूक़ दोनों हैं गिरफ़्तार आहनी ज़ंजीर का ये वो तिलाई का त'अल्लुक़ रूह से मुझ को जसद का ना-गवारा है ज़माने में चलन है चार दिन की आश्नाई का फ़िराक़-ए-यार में मर मर के आख़िर ज़िंदगानी के रहा सदमा हमेशा रूह ओ क़ालिब की जुदाई का हुई मंज़ूर मुहताजी न तुझ को अपनी साइल की बनाया कासा-ए-सर वाज़गूँ कासा गदाई का नज़र आती हैं हर-सू सूरतें ही सूरतें मुझ को कोई आईना-ख़ाना कार-ख़ाना है जुदाई का विसाल-ए-यार का वा'दा है फ़र्दा-ए-क़यामत पर यक़ीं मुझ को नहीं है गोर तक अपनी रसाई का भरोसा आह पर हरगिज़ नहीं ऐ यार आशिक़ को शिकार अब तक कहीं देखा नहीं तीर-ए-हवाई का दिखाया हुस्न से एजाज़-ए-मूसी किल्क-ए-क़ुदरत ने यद-ए-बैज़ा बनाया चूर अंगुश्त-ए-हिनाई का नहीं मिटती है पत्थर की लकीर अहबाब कहते हैं रहेगा पा-ए-बुत पर नक़्श अपनी जब्हा-साई का शिकस्त-ए-ख़ातिर-ए-अहबाब होती है दुरुस्त इस से तवज्जोह में तिरी ऐ यार असर है मोम्याई का दिल अपना आईना सा साफ़ इश्क़-ए-पाक रखता है तमाशा देखता है हुस्न इस में ख़ुद-नुमाई का कफ़-ए-अफ़्सोस मलवाती है तेरी पाक-दामानी पिन्हा कर शाहिद-ए-इस्मत को जामा पारसाई का नहीं देखा है लेकिन तुझ को पहचाना है 'आतिश' ने बजा है ऐ सनम जो तुझ को दावा है ख़ुदाई का ©Jashvant "

Life Like हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का निहायत ग़म है इस क़तरे को दरिया की जुदाई का असीर ऐ दोस्त तेरे आशिक़ ओ माशूक़ दोनों हैं गिरफ़्तार आहनी ज़ंजीर का ये वो तिलाई का त'अल्लुक़ रूह से मुझ को जसद का ना-गवारा है ज़माने में चलन है चार दिन की आश्नाई का फ़िराक़-ए-यार में मर मर के आख़िर ज़िंदगानी के रहा सदमा हमेशा रूह ओ क़ालिब की जुदाई का हुई मंज़ूर मुहताजी न तुझ को अपनी साइल की बनाया कासा-ए-सर वाज़गूँ कासा गदाई का नज़र आती हैं हर-सू सूरतें ही सूरतें मुझ को कोई आईना-ख़ाना कार-ख़ाना है जुदाई का विसाल-ए-यार का वा'दा है फ़र्दा-ए-क़यामत पर यक़ीं मुझ को नहीं है गोर तक अपनी रसाई का भरोसा आह पर हरगिज़ नहीं ऐ यार आशिक़ को शिकार अब तक कहीं देखा नहीं तीर-ए-हवाई का दिखाया हुस्न से एजाज़-ए-मूसी किल्क-ए-क़ुदरत ने यद-ए-बैज़ा बनाया चूर अंगुश्त-ए-हिनाई का नहीं मिटती है पत्थर की लकीर अहबाब कहते हैं रहेगा पा-ए-बुत पर नक़्श अपनी जब्हा-साई का शिकस्त-ए-ख़ातिर-ए-अहबाब होती है दुरुस्त इस से तवज्जोह में तिरी ऐ यार असर है मोम्याई का दिल अपना आईना सा साफ़ इश्क़-ए-पाक रखता है तमाशा देखता है हुस्न इस में ख़ुद-नुमाई का कफ़-ए-अफ़्सोस मलवाती है तेरी पाक-दामानी पिन्हा कर शाहिद-ए-इस्मत को जामा पारसाई का नहीं देखा है लेकिन तुझ को पहचाना है 'आतिश' ने बजा है ऐ सनम जो तुझ को दावा है ख़ुदाई का ©Jashvant

Gazal @Raj Guru Arun Raina ADV.काव्या मझधार @Jaimal Singh Rajput @Mahira Khan. shayri lover

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