न जाने क्यू
मेरी नजर मुझे ही लग जाती है
एक से दूसरी खुशी के आते ही
खुद की किस्मत पर ही शक होने लगता है
कि ये मेरी किस्मत है क्या?
कहीं ऊपर वाला भूल तो नहीं गया है
जो एक के बाद एक खुशी दिए जा रहा है
इतना ख्याल आते ही
बदकिस्मती जाग जाती है
और सारी खुशियां
इस एक झटके में धुंधली हो जाती है
न जाने क्यों मेरी नजर
मुझे ही लग जाती है
यह नजर मेरी है या किसी और की
जो ऐसी लगती है कि
सब क्षीण हो जाता है
न जाने क्यों मेरी या तेरी
नजर मुझे लग ही जाती है
ना जाने क्यू
खुशियों पर
यह ग्रहण लग ही जाता है
न जाने क्यों......
©Manju Sharma 'kanti'
#chaand न जाने क्यू....