White संसार के जितने सुख है'
नश्वर सुख है।
शरीर से प्राप्त सुख की सीमा है।
फिर सुख के साथ दुख अनिवार्यतः है-
बिल्कुल दिन के साथ रात की तरह।
संसार के हर सुख की बुनियाद दुख पर टिकी है-
इसीलिए बुध्द ने कहा -"संसार दुखमय है।"
सच्चा सुख शरीर(इन्द्रिय)से परे है
और उस सुख की तलाश ही बुध्दत्व की तलाश है।
इसलिए बुध्द की पूजा मत करो
उनकी तरह बुध्दत्व को प्राप्त हो जाओ।
बुध्द पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
डॉ श्रवण कुमार सोलंकी
©Shravan Solanki
#Buddha_purnima