मैं गिरकर खुद सम्भल रही हूं ,
ये आईना दिखाने वाले कौन हैं?
मैं तो हर किसी को अपना समझ रही,
फिर ये अपना बताने वाले कौन है ?
ये सपने ये ठोकरें कुछ तो कह रहे हैं,
अपनों से पूछ लो साथ निभाने वाले कौन हैं?
वो मंजर जो मुकम्मल होने को लगता है ,
सपनों के मज़ार पर चादर चढ़ाने वाले कौन है ?
मैं अपनी ही शिकस्त पे रोई नहीं कभी ,
मेरे मात पे ये आंसू बहाने वाले ये कौन है ?
वन्दना यादव ✒️✒️✒️
15/5/24
8:10 a.m
©Vandana Yadav
#Butterfly