White गर्मी आई इतना इतराई की बरसात आ गई वो छत से | हिंदी कविता

"White गर्मी आई इतना इतराई की बरसात आ गई वो छत से टपकने बाली वो रात आ गई । गर्मी किसी की भी हो ज्यादा नही टिकती बरसात आकर यह बात कह गई। वो गर्मी वो पसीना ,पानी कि किल्लत सारा दिन बेहाल बदतर था जीना पहली मुलाकात मे अपना हाल बया कर गई बरसात लग गई। दिन बदलते हैं सबके वो बात कह गई सूखे थे नदी, झरने, तालाब, कुआ और बावड़ी एक मुलाकात में सब भर गई बरसात आ गई। सूखे हुए थे सब हाल बेहाल थे आई हरी भाई कर गई बरसात आ गई बरसात आ गई। 🥰 सतीश गुप्ता 🥰 ©satish gupta"

 White गर्मी आई इतना इतराई 
की बरसात आ गई
वो छत से टपकने बाली 
वो रात आ गई ।

गर्मी किसी की भी हो 
ज्यादा नही टिकती
बरसात आकर 
यह बात कह गई।

वो गर्मी वो पसीना ,पानी कि किल्लत
सारा दिन बेहाल बदतर था जीना
पहली मुलाकात मे अपना हाल बया कर गई
बरसात लग गई।

दिन बदलते हैं सबके 
वो बात कह गई
सूखे थे नदी, झरने, तालाब, कुआ और बावड़ी 
एक मुलाकात में सब भर गई
बरसात आ गई।

सूखे हुए थे सब 
हाल बेहाल थे 
आई हरी भाई कर गई
बरसात आ गई बरसात आ गई।


   🥰 सतीश गुप्ता 🥰

©satish gupta

White गर्मी आई इतना इतराई की बरसात आ गई वो छत से टपकने बाली वो रात आ गई । गर्मी किसी की भी हो ज्यादा नही टिकती बरसात आकर यह बात कह गई। वो गर्मी वो पसीना ,पानी कि किल्लत सारा दिन बेहाल बदतर था जीना पहली मुलाकात मे अपना हाल बया कर गई बरसात लग गई। दिन बदलते हैं सबके वो बात कह गई सूखे थे नदी, झरने, तालाब, कुआ और बावड़ी एक मुलाकात में सब भर गई बरसात आ गई। सूखे हुए थे सब हाल बेहाल थे आई हरी भाई कर गई बरसात आ गई बरसात आ गई। 🥰 सतीश गुप्ता 🥰 ©satish gupta

#sad_quotes 24 जून 2024

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