दिखा नही जो तारा इक भी, तो चांद के आंसू पोछ दिया,. | हिंदी कविता

"दिखा नही जो तारा इक भी, तो चांद के आंसू पोछ दिया,. मुहाल की जो नींदे उसने मैंने आसमां का मुंह नोच लिया.."

 दिखा नही जो तारा इक भी,
तो चांद के आंसू पोछ दिया,.
मुहाल की जो नींदे उसने 
मैंने आसमां का मुंह नोच लिया..

दिखा नही जो तारा इक भी, तो चांद के आंसू पोछ दिया,. मुहाल की जो नींदे उसने मैंने आसमां का मुंह नोच लिया..

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