हम ही ने अपने दिल से आज लो, फिर से बगावत की । हुआ | हिंदी Poetry

"हम ही ने अपने दिल से आज लो, फिर से बगावत की । हुआ मालूम जब तेरी अदा भी एक बनावट थी । निगाहों से नई शबनम की बूंदे भी उतर आईं । हमारी आरज़ू टूटी, तेरी महफ़िल सलामत थी ।।"

 हम ही ने अपने दिल से आज लो, फिर से बगावत की ।
हुआ मालूम जब तेरी अदा भी एक बनावट थी ।
निगाहों से नई शबनम की बूंदे भी उतर आईं ।
हमारी आरज़ू टूटी, तेरी महफ़िल सलामत थी ।।

हम ही ने अपने दिल से आज लो, फिर से बगावत की । हुआ मालूम जब तेरी अदा भी एक बनावट थी । निगाहों से नई शबनम की बूंदे भी उतर आईं । हमारी आरज़ू टूटी, तेरी महफ़िल सलामत थी ।।

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