बंजर है,दिल की ज़मीन 'पारस' एहसासों से इसको,भीगो द | हिंदी Shayari Vid

" बंजर है,दिल की ज़मीन 'पारस' एहसासों से इसको,भीगो दूँगा मैं तन्हाई का समंदर,जितना भी हो गहरा हर तलाश को इसमें डूबो दूँगा मैं जैसे शाम का ढलना और बेबसी ग़ज़ल बन,गम,पिरो दूँगा मैं की,अश्क़ बनकर यूँ, रो दूँगा मैं तुझमें,खुद को,खो दूँगा मैं ©paras Dlonelystar "

बंजर है,दिल की ज़मीन 'पारस' एहसासों से इसको,भीगो दूँगा मैं तन्हाई का समंदर,जितना भी हो गहरा हर तलाश को इसमें डूबो दूँगा मैं जैसे शाम का ढलना और बेबसी ग़ज़ल बन,गम,पिरो दूँगा मैं की,अश्क़ बनकर यूँ, रो दूँगा मैं तुझमें,खुद को,खो दूँगा मैं ©paras Dlonelystar

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