"दऱख्त-ए-मेहरबाँ
उसके क़र्ज़-ए-मुरव्वत को इस क़दर लौटाया जाएगा,
दऱख्त-ए-मेहरबाँ को इसकी इल्म-ओ-आगही ना थी|
दी जिस बशर-दोस्त को पनाह शुआ'-ओ-शम्स से,
वो ये कर्ज़ तबर से लौटाएगा, दऱख्त-ए-मेहरबाँ को इसकी मा'रिफ़त ना थी|"
दऱख्त-ए-मेहरबाँ
उसके क़र्ज़-ए-मुरव्वत को इस क़दर लौटाया जाएगा,
दऱख्त-ए-मेहरबाँ को इसकी इल्म-ओ-आगही ना थी|
दी जिस बशर-दोस्त को पनाह शुआ'-ओ-शम्स से,
वो ये कर्ज़ तबर से लौटाएगा, दऱख्त-ए-मेहरबाँ को इसकी मा'रिफ़त ना थी|