ख़्वाबों के सिरहाने बैठ जाता हूँ अक्सर, ख़ुद ही ख़ुद से रूठ जाता हूँ अक्सर..!
माँ पूछती है, सब ठीक तो है ना झूठ कहता तो हूँ, पर टूट जाता हूँ अक्सर..!
ज़िंदगी की गाड़ी के लिए, वक़्त से पहले पहुँचता हूँ हमेशा, जाने कैसे हरबार, नीचे छूट जाता हूँ अक्सर..!
बस यूँही कभी कभी ख़्वाबों के सिरहाने बैठता तो हूँ पर ख़ुद ही ख़ुद से रूठ जाता हूँ अक्सर..!
©Anil gupta
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