झूठ आज से नहीं अनन्त काल से रथ पर सवार है और सच च | हिंदी कविता Video

""झूठ आज से नहीं अनन्त काल से रथ पर सवार है और सच चल रहा है पाँव-पाँव नदी, पहाड़, काँटे और फूल और ऊबड़-खाबड़ रास्ते सब सच ने जाने हैं झूठ तो एक आसमान में उड़ता है और उतर जाता है जहाँ चाहता है" ©HintsOfHeart. "

"झूठ आज से नहीं अनन्त काल से रथ पर सवार है और सच चल रहा है पाँव-पाँव नदी, पहाड़, काँटे और फूल और ऊबड़-खाबड़ रास्ते सब सच ने जाने हैं झूठ तो एक आसमान में उड़ता है और उतर जाता है जहाँ चाहता है" ©HintsOfHeart.

#भवानी_प्रसाद_मिश्र #जन्म_जयंती
■ हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक।

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