इंसानियत..
"वो काॅलेज से बाहर निकली तो जोर की भूख लग आयी थी ।
वह सडक पार कर मोहन चाटवाले के ठेले पर पहँची और
एक चाट बनाने को बोलेकर खडी हो गयी।
सामने ही तीन लडके चाट खा रहे थे।उन्होंने उसपर
टोंट कसने शुरू कर दी।
"ओये होये अकेले अकेले।हम भी तो हैं"
वह बहुत असहज महसूस करने लगी।उसकी बेचैनी और
चुप्पी देखकर लडको का हौसला और बढ़ गया।
अचानक तभी वहाँ एक बाइक सवार आया।
अपना हेलमेट उतारा और उससे बोला
अरे संजना यहाँ अकेले क्या कर रही है?
ओह अपने भाई से छुपकर चाट खा रही है।
पर मै भी ढीठ हूँ ।जहाँ मेरी बहन वहा मैं।चल मेरे लिए भी चाट मंगा।
उसको कुछ समझ नही आया पर तीनों
लडके इस दृश्य को देखकर वहाँ से खिसक लिये।
उसकी जान मे जान आ गई ।राहत की साँस लेते हुए
बाइक सवार से बोली,-"पर मेरा नाम संजना नही है
और ना ही मैं तुम्हारी बहन हूँ।"
बाइक सवार ने अपना हेलमेट पहना ,
बाइक स्टार्ट किया और बोला-"कोई बात नही
किसी की तो बहन हो।"
और आगे बढ़ गया।
उसकी आखों से टप टप आसूँ गिरने लगे।उसने सोचा
काश दुनिया का हर मर्द ऐसा होता।
चाटवाले ने उसे चाट दी और बोला -बेटी
मेरी दुकान पर ग्राहक तो बहुत आते हैं
पर इंसान कभी कभी आते हैं
हर हर महादेव
©Rajesh koli
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