चल पड़े हैं अकेले ही मंज़िल की जानिब देखते हैं | हिंदी शायरी

"चल पड़े हैं अकेले ही मंज़िल की जानिब देखते हैं रास्ते कब तक उलझा कर रखेंगे हमें ✍️Deepak Kumar'Deep' ©Deepak Kumar"

 चल  पड़े  हैं 
अकेले ही मंज़िल की जानिब 
देखते हैं रास्ते कब तक 
उलझा कर रखेंगे हमें

✍️Deepak Kumar'Deep'

©Deepak Kumar

चल पड़े हैं अकेले ही मंज़िल की जानिब देखते हैं रास्ते कब तक उलझा कर रखेंगे हमें ✍️Deepak Kumar'Deep' ©Deepak Kumar

#manzil

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