छंद- विजात
छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार होता है।यह चार चरणों वाला छंद है।क्रमागत दो-दो चरण या चारों चरण समतुकान्त होता है।
मापनी- लगागागा लगागागा
१२२२ १२२२
चमकती जब,यहाँ चपला।
करे हे यह,बहुत घपला।
सदा यह प्राण लेती है।
कभी ना त्राण देती है।।१
रहम भी खूब ये करती।
इसी से है, हरी धरती।।
चमकना शान्त हो ऐसे।
चमकता चाँद हो जैसे।।२
©Bharat Bhushan pathak
#Reindeer
छंद- विजात
छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार होता है।यह चार चरणों वाला छंद है।क्रमागत दो-दो चरण या चारों चरण समतुकान्त होता है।
मापनी- लगागागा लगागागा
१२२२ १२२२
चमकती जब,यहाँ चपला।
करे हे यह,बहुत घपला।