White पल्लब की डायरी
खुद का वजूद,आज देख लो
सूरज की ताप झेली है
छेड़ प्रकृति,काटकर कर पेड़
धुन झूठे विकास की छेड़ी है
ध्वस्त होते सब अविष्कारों के साधन
प्रकृति की गोद मे आना होगा
चंचलता मन की छोड़ कर
सुलभ और फ्री छाँव पाने
साधन प्रकृति के अपनाना होगा
वैश्वीकरण की दौड़ में कीमत सब की देते है
हवा पानी पैक करके, सबको छलते रहते है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#cg_forest ध्वस्त होते सब आविष्कारों के साधन
#nojotohindi