White तन्हाई बोलती है" बंद कमरे में दिवारों संग, | हिंदी शायरी Vi

"White तन्हाई बोलती है" बंद कमरे में दिवारों संग, तेरी तनहाइयां जब बोलती हैं। मानो दर्द नस-नस में जुदाई का, ज़हर हल्का सा जैसे घोलती हैं। तड़प उठता है मन तेरे मिलन को, जिस्म की खुशबू बदन में डोलती है। काटता बिस्तर अकेला रात भर, सांसें तेरी कानों में शरबत घोलती हैं। ©Anuj Ray "

White तन्हाई बोलती है" बंद कमरे में दिवारों संग, तेरी तनहाइयां जब बोलती हैं। मानो दर्द नस-नस में जुदाई का, ज़हर हल्का सा जैसे घोलती हैं। तड़प उठता है मन तेरे मिलन को, जिस्म की खुशबू बदन में डोलती है। काटता बिस्तर अकेला रात भर, सांसें तेरी कानों में शरबत घोलती हैं। ©Anuj Ray

# तन्हाई बोलती है"

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