मौत के इंतज़ार में ज़िन्दगी... वाकई में ज़िन्दगी इतन | हिंदी Poetry

"मौत के इंतज़ार में ज़िन्दगी... वाकई में ज़िन्दगी इतनी छोटी और कम समय के लिए मिलती है कि उसमें हिमालय जितने ख़्वाहिशों को पूरा करना नामुमकिन है।ज़िन्दगी बारिश की एक बूंद मात्र है,फ़र्ज़ कीजिये बारिश हुई और उसकी बून्द एक पेड़ के पत्ते पर गिरी।अब उसे ज़मीन पर टपकने में जितना वक़्त लगता है उतना ही समय हम भी जीते हैं।हमारा सारा संसार उसी बून्द के इर्द गिर्द रहता है।कई बार कोई बाह्य कारक आकर सहसा पेड़ की टहनी हिला जाता है और एक झटके में बून्द धरा पर गिरकर विलीन हो जाती है। आजकल भयावह बीमारियाँ वही 'बाह्य कारक' हैं जो सहसा आते हैं और हमारी पतंगरूपी जीवन की डोर को झटके में काटकर अपनों से दूर कर देते हैं।आपके पास चाहे लाख सुख-सुविधा और संसाधन क्यों न हो, आप उस डोर को कटने से नहीं बचा सकतें। ©तारांश"

 मौत के इंतज़ार में ज़िन्दगी...

वाकई में ज़िन्दगी इतनी छोटी और कम समय के लिए मिलती है कि उसमें हिमालय जितने ख़्वाहिशों को पूरा करना नामुमकिन है।ज़िन्दगी बारिश की एक बूंद मात्र है,फ़र्ज़ कीजिये बारिश हुई और उसकी बून्द एक पेड़ के पत्ते पर गिरी।अब उसे ज़मीन पर टपकने में जितना वक़्त लगता है उतना ही समय हम भी जीते हैं।हमारा सारा संसार उसी बून्द के इर्द गिर्द रहता है।कई बार कोई बाह्य कारक आकर सहसा पेड़ की टहनी हिला जाता है और एक झटके में बून्द धरा पर गिरकर विलीन हो जाती है।
आजकल भयावह बीमारियाँ वही 'बाह्य कारक' हैं जो सहसा आते हैं और हमारी पतंगरूपी जीवन की डोर को झटके में काटकर अपनों से दूर कर देते हैं।आपके पास चाहे लाख सुख-सुविधा और संसाधन क्यों न हो, आप उस डोर को कटने से नहीं बचा सकतें।
©तारांश

मौत के इंतज़ार में ज़िन्दगी... वाकई में ज़िन्दगी इतनी छोटी और कम समय के लिए मिलती है कि उसमें हिमालय जितने ख़्वाहिशों को पूरा करना नामुमकिन है।ज़िन्दगी बारिश की एक बूंद मात्र है,फ़र्ज़ कीजिये बारिश हुई और उसकी बून्द एक पेड़ के पत्ते पर गिरी।अब उसे ज़मीन पर टपकने में जितना वक़्त लगता है उतना ही समय हम भी जीते हैं।हमारा सारा संसार उसी बून्द के इर्द गिर्द रहता है।कई बार कोई बाह्य कारक आकर सहसा पेड़ की टहनी हिला जाता है और एक झटके में बून्द धरा पर गिरकर विलीन हो जाती है। आजकल भयावह बीमारियाँ वही 'बाह्य कारक' हैं जो सहसा आते हैं और हमारी पतंगरूपी जीवन की डोर को झटके में काटकर अपनों से दूर कर देते हैं।आपके पास चाहे लाख सुख-सुविधा और संसाधन क्यों न हो, आप उस डोर को कटने से नहीं बचा सकतें। ©तारांश

डायरी का एक अंश...
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