White नेकी कर के भी नेकी न कर पाया मैं डूबते शख़्स | हिंदी शायरी

"White नेकी कर के भी नेकी न कर पाया मैं डूबते शख़्स को मैंने तिनका दिया हर किसी ने दिया दर्द मुझको मगर ये न पूछो कि अपनों ने कितना दिया मुर्गी थी ही नहीं,मुर्गे ही मुर्गे थे सोचिए दरबे में किसने अंडा दिया ©Ghumnam Gautam"

 White नेकी कर के भी नेकी न कर पाया मैं
डूबते शख़्स को मैंने तिनका दिया

हर किसी ने दिया दर्द मुझको मगर
ये न पूछो कि अपनों ने कितना दिया 

मुर्गी थी ही नहीं,मुर्गे ही मुर्गे थे
सोचिए दरबे में किसने अंडा दिया

©Ghumnam Gautam

White नेकी कर के भी नेकी न कर पाया मैं डूबते शख़्स को मैंने तिनका दिया हर किसी ने दिया दर्द मुझको मगर ये न पूछो कि अपनों ने कितना दिया मुर्गी थी ही नहीं,मुर्गे ही मुर्गे थे सोचिए दरबे में किसने अंडा दिया ©Ghumnam Gautam

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